रांची (अमरेंद्र कुमार). राज्य के खजाने की स्थिति सुधर नहीं पा रही है। नियमित सरकारी कर्मचारियों को किसी तरह दिसंबर का वेतन एक-दो दिनों में मिला है। ट्रेजरी से पिछले 10 दिनों में रिटायरमेंटल बेनीफिट, पेंशन व वेतन को छोड़कर कोई दूसरा भुगतान नहीं हुआ है। कंटीजेंसी और चेस से होने वाले वेतन व मानदेय का भुगतान नहीं हो पा रहा है।

पिछले कई महीनों से जुगाड़ कर वेतन का भुगतान हो रहा है। समय-समय पर ओवर ड्राफ्ट हो जाता है। ऋण और उधर लेकर किसी तरह ओवर ड्राफ्ट को कम किया जाता है। 23 दिसंबर को राज्य के खजाने में 1900 करोड़ रुपए थे। उस दिन खजाने से 70 करोड़ रुपए निकाले गए थे। 26 दिसंबर को खजाने में यह राशि बढ़कर 2240 करोड़ रुपए हुई और भुगतान हुए थे 170 करोड़ रुपए। 31 दिसंबर को 2800 थे, एक जनवरी को केंद्र से करों की हिस्सेदारी मद में करीब 2500 करोड़ आए। तब जाकर वेतन, पेंशन और सूद अदायगी का भुगतान हुआ है। 19 दिसंबर को केवल 65 करोड़ रुपए थे। केंद्र सरकार से 1800 का ऋण लेकर इस समय खजाने में 1925 करोड़ रुपए जुटाए गए।

विभिन्न विभागों में अनुमान के अनुरूप राजस्व की प्राप्ति नहीं
चालू वित्तीय वर्ष में 85,283 करोड़ रुपए का बजट है। इसमें योजना बजट 52,283 करोड़ का है। इसमें से 31 दिसंबर तक 24,300 करोड़ रुपए ही खर्च हुए हैं। यानि नौ माह की अवधि में योजना बजट का 50 फीसदी पैसा भी खर्च नहीं हो सका है। दूसरी अोर, विभिन्न विभागों में अनुमान के अनुरूप राजस्व की प्राप्ति भी नहीं हो रही है। इससे स्थिति काफी गंभीर होती जा रही है। राज्य सरकार अपने आंतरिक संसाधन को नहीं बढ़ा पा रही है। महिलाओं को एक रुपए के टोकन मनी पर जमीन रजिस्ट्री का लाभ देने, शराब बिक्री की व्यवस्था बदलने और जीएसटी की व्यवस्था लागू होने से राजस्व वसूली की स्थिति प्रभावित हुई है। खनन लीज की बंदोबस्ती नहीं होने से भी राजस्व की स्थिति गड़बड़ हुई है।

पिछली सरकार लक्ष्य का आधा आंतरिक संसाधन भी नहीं जुट सकी है। चालू वित्तीय वर्ष के लिए पारित 85283 करोड़ रुपए के बजट में राज्य को फिलहाल 72000 करोड़ अपने प्रयास से जुटाने थे। केंद्र से कुल मिलाकर 13000 करोड़ रुपए ही मिलने हैं, लेकिन इस 72000 करोड़ के विरुद्ध अबतक करीब 35000 करोड़ रुपए ही सरकार जुटा सकी थी।

बड़े भुगतान पर वित्त विभाग की अनुमति जरूरी
पिछले डेढ़ वर्षों से राज्य की वित्तीय स्थिति कशमकश में है। पिछले डेढ़ साल से ऐसा हो रहा है कि महीने की 20 तारीख के बाद वित्त विभाग का पूरा महकमा सभी आवश्यक भुगतान रोककर खजाने में पैसा जमा करता रहता है, ताकि अगला महीना शुरू होते ही कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके। खजाने पर लगातार लाल बत्ती नहीं जलती रहे, इसके लिए सरकार ने ट्रेजरी से निकासी पर परोक्ष रूप से रोक लगा रखा है। ट्रेजरी अफसरों को निर्देश है कि वे बगैर वित्त विभाग की अनुमति के बड़े भुगतान की स्वीकृति नहीं दें।

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